drugs in punjab

Editorial: पंजाब में ड्रग्स, करप्शन, क्राइम पर अंतिम चोट जरूरी

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Punjab needs a final blow on drugs, corruption and crime: दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार ने पंजाब की भगवंत मान सरकार को जो नसीहत दी है, उसी का परिणाम दिख रहा है कि राज्य सरकार ने नशा तस्करों, भ्रष्टाचारी अधिकारियों, अवैध इमीग्रेशन आदि के खिलाफ मुहिम को बेहद तेज कर दिया है। लुधियाना में दो ड्रग्स तस्करों के मकानों को तोड़ने की कार्रवाई इसी का सबूत है, हालांकि यह जरूरी है कि ऐसी कार्रवाई नियमों के अनुसार की जाए। ऐसा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि यूपी में भाजपा सरकार ने गैंगस्टरों के मकानों को तोड़ने की जो कार्रवाई की, उसे सुप्रीम कोर्ट ने अवैध ठहराया है।

बेशक, अपराधियों पर कार्रवाई बेहद जरूरी है, लेकिन ऐसा नियमित रूप से और एक समस्या के समाधान के लिए होना चाहिए न कि किसी दूरगामी हित को साधने के लिए। पंजाब में इस समय नशाखोरी, अवैध इमीग्रेशन और भ्रष्टाचार की समस्या भयंकर रूप धारण किए हुए है। ड्रग्स, जहरीली शराब आदि के द्वारा पंजाब के युवाओं को किस प्रकार इस जाल में फंसा लिया गया है, इसका अंदाजा जब तब उन मीडिया रिपोर्ट से हो जाता है, जोकि सामने आती रहती हैं। हालांकि संभव है कि पुलिस और प्रशासन को इसकी हरसमय जानकारी रहती हो। दरअसल, यह समझने की बात है कि ड्रग्स पर अंतिम वार हो लेकिन इस बार इसके समूल नाश का जत्न किया जाए।

पंजाब में ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी नशा तस्कर के घर पर बुलडोजर चला है। इस कार्रवाई में पुलिस ने नशा तस्करों के मकानों को जमींदोज कर दिया। सामने आ रहा है कि आरोपी और उसके परिवार के लोगों पर आधा दर्जन से ज्यादा एफआईआर दर्ज हैं। पुलिस इन नशा तस्करों के पास भारी मात्रा में नशे की खेप और ड्रग मनी जब्त कर चुकी है। पुलिस ने राज्यभर में 78 ऐसे ड्रग तस्करों की पहचान की है, जिन पर तोडफ़ोड़ की कार्रवाई अंजाम दी जानी है। पुलिस कह रही है कि जो भी नशा बेचते पकड़ा जाएगा, उसकी प्रॉपर्टी सीज की जाएगी। वहीं मुख्यमंत्री भगवंत मान का बयान है कि  सरकार नशा तस्करी को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने जनता से इस मुहिम का हिस्सा बनने की भी अपील की है। वास्तव में राजनीतिक मंशा और नीयत के बगैर ऐसी बुराइयों को खत्म नहीं किया जा सकता। पुलिस कभी इतनी सक्षम नहीं हो सकती कि वह अपने तौर पर कोई निर्णय ले, अगर सरकार यह चाहती है कि राज्य में एक बुराई पर अंकुश लगना चाहिए तो फिर कोई इसे नहीं रोक सकता। पंजाब के संबंध में सबसे ज्यादा चिंताजनक यही है कि बीते समय में राजनीतिक नेतृत्व ने कभी इतनी पुरजोर इच्छाशक्ति नहीं दिखाई कि नशा तस्करों, भ्रष्टाचारियों, गैंगस्टरों पर सख्त कार्रवाई हुई हो। हालांकि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य सरकार ने जो ठोस कदम उठाए हैं, उनसे राज्य में नशा तस्करों पर प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित हुई है। यह भी इसी सरकार के दौरान संभव हुआ है कि भ्रष्टाचार के आरोपी मंत्री को गिरफ्तार करवाया हो।

राज्य में नौकरशाही पर भ्रष्टाचार के आरोप नए नहीं हैं। यह भी सभी को पता है कि राज्य में तहसील कार्यालय किस प्रकार भ्रष्टाचार के खुले अड्डे बने हुए हैं। जाहिर है, मान सरकार को इस संबंध में कड़ी कार्रवाई करनी होगी। सरकार ने इस तरफ भी प्रयास आरंभ कर दिए हैं। इसका नमूना एक बीडीपीओ को निलंबित करने से मिलता है। हालांकि यह अधिकारी बहुत निचले स्तर का है, जिस पर कार्रवाई की गई है। पंजाब में पुलिस और प्रशासन में न जाने कितने ऐसे अधिकारी और कर्मचारी लिप्त हैं, जोकि रिश्वतखोरी के पर्याय बन चुके हैं। जनता ऐसे अधिकारियों, कर्मचारियों का नाम तक नहीं ले सकती, क्योंकि ऐसा करके वह मुसीबत मोल नहीं लेना चाहती। बेशक, सीएमओ ने खुद व्हाट्सएप नंबर जारी कर ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों का सच उजागर करने का जनता को ऑप्शन दिया हुआ है, इस पर शिकायतें भी आ रही हैं। लेकिन फिर कड़ी कार्रवाई न होने के डर से ऐसी शिकायतों का कोई औचित्य भी नहीं रह जाता।    

वैसे, गैंगस्टरों के खिलाफ भी पंजाब पुलिस ने सख्त रूख दिखाया है, जोकि उचित ही है। पंजाब एक समृद्ध प्रदेश है, लेकिन नशा, भ्रष्टाचार, अपराध आदि इसे खोखला किए जा रहे हैं।  राज्य की जनता ने आम आदमी पार्टी के जरिये बदलाव की चाह रखी है। जनता चाहती है कि पंजाब को इन सब समस्याओं से निजात मिले। यह मुख्यमंत्री भगवंत मान सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पंजाब के विकास की राह में रोड़ा बनने वाली इन दिक्कतों को समाधान करे। 

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